सांसदों ने उठाई देश के हर जिले में कैंसर अस्पताल खोलने की मांग

सांसदों ने उठाई देश के हर जिले में कैंसर अस्पताल खोलने की मांग

सेहतराग टीम

देश में कैंसर के बढ़ते मामलों के बीच निर्धन लोगों को हो रही परेशानी से निजात दिलाने के लिए बुधवार को राज्यसभा में देश के हर जिले में कैंसर की जांच और उपचार के लिए केंद्र खोलने की मांग उठी।

कैंसर रोगियों के लिए मूलभूत सुविधाएं और सस्ता उपचार सुनिश्चित किए जाने की आवश्यकता के मुद्दे पर सपा सदस्य चौधरी सुखराम सिंह यादव, विश्‍वंभर प्रसाद निषाद और चंद्रपाल सिंह यादव द्वारा उच्च सदन में शुरू की गई अल्पकालिक चर्चा में हिस्सा लेते हुए लगभग सभी दल के सदस्यों ने हर जिले में कैंसर केंद्र खोलने की सरकार से मांग की। 

निषाद ने कहा कि इस बीमारी का तेजी से प्रसार हो रहा है। इससे समाज का हर वर्ग प्रभावित हो रहा है। अमीर लोग देश-विदेश में बेहतरीन इलाज करा सकते हैं लेकिन इस जानलेवा बीमारी की सबसे त्रासदपूर्ण स्थिति का सामना गरीबों को करना पड़ रहा है। 

उन्होंने कहा कि कैंसर की पहचान के लिए जांच और उपचार केंद्रों की स्थानीय स्तर पर सुविधा नहीं होने के कारण मरीजों को दिल्ली जैसे महानगरों की ओर रुख करना पड़ता है। निषाद ने कहा कि पैसे के अभाव में अधिकांश मरीज बड़े शहरों में नहीं जा पाते और जो किसी तरह बड़े शहरों में पहुंच भी जाते हैं, उन्हें सरकारी अस्पतालों में लंबा इंतजार करना पड़ता है। निजी अस्पतालों में इलाज बहुत मंहगा होने के कारण मरीज बिना इलाज के मौत का इंतजार करने को मजबूर होते हैं।

उन्होंने बीमारी की जड़ में दूषित एवं मिलावटी खाद्य पदार्थ तथा मोबाइल फोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का विकिरण प्रमुख कारण बन कर उभरे हैं। उन्होंने सरकार से दूषित एवं मिलावटी खाद्य पदार्थों की बिक्री पर प्रभावी नियंत्रण करने और विकिरण सहित कैंसर के अन्य कारणों के बारे में व्यापक जागरुकता अभियान चलाने की मांग की। साथ ही उन्होंने हर जिले में कम से कम एक कैंसर जांच एवं उपचार केंद्र खोलने की मांग की। 

चर्चा में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस की वांसुक सियाम ने मेघालय सहित अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में कैंसर से पीड़ित मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि दूरदराज के ग्रामीण इलाकों में भी यह बीमारी पहुंच गयी है। सियाम ने कहा कि इस बारे में अब तक जारी शोध रिपोर्टेां के मुताबिक प्लास्टिक, रासायनिक खाद और मिलावटी खाद्य पदार्थों का इस्तेमाल इस बीमारी की वजह बन रहा है। उन्होंने इसके बारे में व्यापक पैमाने पर जागरुकता अभियान चलाने और बीमारी की जांच एवं उपचार का प्रसार सरकारी स्तर पर हर जिले में करने की मांग की। 

भाजपा के विकास महात्मे ने कहा कि सबसे पहले तो कैंसर के बारे में लोगों को जागरुक किया जाना चाहिये कि कैंसर लाइलाज नहीं है, इसका इलाज संभव है। बशर्ते इसकी पहचान शुरुआती दौर में ही हो जाए। उन्होंने सरकार से कैंसर की शुरुआती जांच की सुविधा जिला और कस्बे के स्तर पर मुहैया कराने की मांग की।

उन्होंने मोदी सरकार द्वारा आयुष्मान योजना में हर गरीब मरीज को पांच लाख रुपये तक की मुफ्त चिकित्सा सुविधा को बड़ी राहत बताया। महात्मे ने कहा कि कैंसर की भी कम कीमत पर 355 जेनरिक दवाएं जनऔषधि केंद्रों पर वितरित होने के कारण मरीजों को काफी सहूलियत मिली है।

तृणमूल कांग्रेस के जोगेन चौधरी और अन्नाद्रमुक के ए.के. सेल्वाराज ने कैंसर के इलाज का दावा कर मरीजों को ठगने वाले नीम हकीमों से बचने के लिए लोगों को जागरूक करने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने सरकार को सुझाव दिया कि निजी कंपनियों को अपने सीएसआर फंड से कैंसर मरीजों को दवा मुहैया कराने में मदद पहुंचाने का विकल्प मुहैया कराया जाए। उन्होंने कहा कि इलाज की पारंपरिक ‘सिद्धा पद्धति’ सहित आयुर्वेद में भी कैंसर के इलाज का विकल्प मरीजों को मुहैया कराने में सरकार को मदद करनी चाहिये।

बीजद के प्रसन्न आचार्य ने कैंसर से उपजे गंभीर हालात का जिक्र करते हुए कहा कि इस समस्या पर सदन में अल्पकालिक नहीं बल्कि दीर्घकालिक चर्चा करायी जानी चाहिये। आचार्य ने कहा कि इस बीमारी से जुड़ा आर्थिक पहलू इसके संकट को गहरा देता है। उन्होंने कहा कि देश के सभी हिस्सों में फैल रही इस बीमारी का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि पंजाब और राजस्थान को जोड़ने वाले बठिंडा गंगानगर राजमार्ग के इलाके में कैंसर मरीजों की संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी के कारण यह ‘कैंसर हाईवे’ के नाम से कुख्यात हो गया है।

जदयू के रामनाथ ठाकुर ने छोटे शहरों और कस्बों में हालात की गंभीरता का जिक्र करते हुए बताया कि उनकी पत्नी 11 साल से इस बीमारी से पीड़ित हैं। ठाकुर ने कहा कि बिहार में जिला अस्पताल मरीजों को राज्य स्तरीय अस्पतालों में रेफर करते हैं और राज्य स्तरीय अस्पताल मरीज को दिल्ली रेफर कर देते हैं। दिल्ली में मरीजों के लिए या तो महंगे निजी अस्पताल में जाने या सरकारी अस्पतलों की प्रतीक्षा सूची में नाम दर्ज कराने का ही विकल्प होता हैं।

उन्होंने कहा कि गरीब मरीज इलाज कराने के नाम पर सिर्फ अस्पतालों के चक्कर काटते रह जाते हैं लेकिन तब तक बीमारी गंभीर रूप धारण कर उन्हें मौत के मुंह में धकेल देती है। ठाकुर ने इसके मद्देनजर सरकार से हर जिले में कैंसर शोध केंद्र खोलने की मांग की। इससे कैंसर के कारणों का पता लगाने से लेकर इसकी जांच और उपचार की भी सुविधा मिल सकेगी और मरीजों को समय से बीमारी का पता चल सकेगा।

माकपा सदस्य के.के. रागेश ने कहा कि केरल में कैंसर के मरीजों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है। उन्होंने स्थिति के अध्ययन के लिए केंद्र से विशेषज्ञों की एक टीम केरल भेजने की मांग की।

राजद सदस्य मनोज कुमार झा ने कहा कि इस मामले में भारत को क्यूबा से सीख लेनी चाहिए। अमेरिकी प्रतिबंध के कारण क्यूबा ने खुद ही शोध किया और बेहतरीन दवाइयां तैयार की। द्रमुक सदस्य टी शिवा ने कैंसर का इलाज महंगा होने का जिक्र करते हुए सरकार से मांग की कि इसकी दवाइयों को किफायती बनाया जाना चाहिए और इसका इलाज नि:शुल्क होना चाहिए।

शिवसेना सदस्य संजय राउत ने कहा कि मुंबई के टाटा कैंसर अस्पताल में सबसे ज्यादा मरीज इलाज के लिए जाते हैं। लेकिन वहां मरीजों की संख्या काफी अधिक होने के कारण उन्हें काफी परेशानी उठानी पड़ती है। उन्होंने मांग की कि देश के विभिन्न राज्यों में भी ऐसे अस्पताल बनाए जाने चाहिए।

वाईएसआर कांग्रेस के वी. विजयसाई रेड्डी ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि तमिलनाडु सरकार ने इस रोग की तुरंत जांच के लिए एक पहल की है। अन्य राज्यों को भी ऐसी पहल करनी चाहिए। उन्होंने विजयवाड़ा में कैंसर अस्पताल बनाए जाने की भी मांग की।

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